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*कुलपति बनने पर बधाई*
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) एवं
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् (आईसीएचआर) के सदस्य-सचिव सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) का कुलपति नियुक्त किया गया है। इसके लिए बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।
*बीएनएमयू से है लगाव*
कुलपति डाॅ. राय ने बताया कि डाॅ. शुक्ल का बीएनएमयू से काफी लगाव है। आईसीपीआर के सदस्य-सचिव के रूप में उन्होंने बीएनएमयू को तीन कार्यक्रमों के आयोजन हेतु अनुदान दिलाया था। इनमें से दो कार्यक्रम गत वर्ष मार्च एवं अप्रैल में टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा में आयोजित हुआ था। तीसरा कार्यक्रम भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित किया जाना है। आगे इस वर्ष आयोजित होने जा रहे दर्शन परिषद्, बिहार के 42 वें वार्षिक अधिवेशन में आमंत्रित किया जाएगा।
*दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता*
डाॅ. शुक्ल से गहरे जुड़े बीएनएमयू के जनसंपर्क पदाधिकारी सह दर्शन परिषद्, बिहार के संयुक्त सचिव डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल हमेशा दर्शनशास्त्र के उन्नयन हेतु
प्रतिबद्ध रहे हैं। इसलिए उन्हें आशा ही नहीं, वरन पूर्ण विश्वास है कि इनके प्रयासों से वर्धा में दर्शनशास्त्र का एक स्वतंत्र विभाग अवश्य खुलेगा। डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इसके पूर्व ये परिषद् के संयुक्त सचिव एवं शोध-पत्रिका 'दार्शनिक त्रैमासिक' के प्रधान संपादक भी रहे हैं। इस पत्रिका में लगातार बीएनएमयू के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों के आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।
*कई उपलब्धियाँ*
डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल के नाम कई उपलब्धियाँ हैं। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पी-एच. डी. की है और वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। ये बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सिंडीकेट (कोर्ट) एवं हरियाणा राज्य शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। इन्होंने सात पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें 'गौरवशाली संस्कृति', 'स्वातंत्र्योत्तर भारतीय दार्शनिक चिंतन की पृष्ठभूमि' प्रमुख हैं। इनके सौ से अधिक शोध पत्र एवं आलेख देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
*अन्य लोगों ने भी दी बधाई*
डाॅ. शुक्ल को बधाई देने वालों में प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली, मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी, टी. पी. काॅलेज के डाॅ. शिवशंकर कुमार, पार्वती साइंस काॅलेज के डाॅ. रवीन्द्र चरण यादव, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. रामनरेश सिंह, सीनेटर रंजन यादव आदि के नाम भी शामिल हैं।
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) एवं
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् (आईसीएचआर) के सदस्य-सचिव सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) का कुलपति नियुक्त किया गया है। इसके लिए बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।
*बीएनएमयू से है लगाव*
कुलपति डाॅ. राय ने बताया कि डाॅ. शुक्ल का बीएनएमयू से काफी लगाव है। आईसीपीआर के सदस्य-सचिव के रूप में उन्होंने बीएनएमयू को तीन कार्यक्रमों के आयोजन हेतु अनुदान दिलाया था। इनमें से दो कार्यक्रम गत वर्ष मार्च एवं अप्रैल में टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा में आयोजित हुआ था। तीसरा कार्यक्रम भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित किया जाना है। आगे इस वर्ष आयोजित होने जा रहे दर्शन परिषद्, बिहार के 42 वें वार्षिक अधिवेशन में आमंत्रित किया जाएगा।
*दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता*
डाॅ. शुक्ल से गहरे जुड़े बीएनएमयू के जनसंपर्क पदाधिकारी सह दर्शन परिषद्, बिहार के संयुक्त सचिव डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल हमेशा दर्शनशास्त्र के उन्नयन हेतु
प्रतिबद्ध रहे हैं। इसलिए उन्हें आशा ही नहीं, वरन पूर्ण विश्वास है कि इनके प्रयासों से वर्धा में दर्शनशास्त्र का एक स्वतंत्र विभाग अवश्य खुलेगा। डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इसके पूर्व ये परिषद् के संयुक्त सचिव एवं शोध-पत्रिका 'दार्शनिक त्रैमासिक' के प्रधान संपादक भी रहे हैं। इस पत्रिका में लगातार बीएनएमयू के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों के आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।
*कई उपलब्धियाँ*
डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल के नाम कई उपलब्धियाँ हैं। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पी-एच. डी. की है और वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। ये बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सिंडीकेट (कोर्ट) एवं हरियाणा राज्य शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। इन्होंने सात पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें 'गौरवशाली संस्कृति', 'स्वातंत्र्योत्तर भारतीय दार्शनिक चिंतन की पृष्ठभूमि' प्रमुख हैं। इनके सौ से अधिक शोध पत्र एवं आलेख देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
*अन्य लोगों ने भी दी बधाई*
डाॅ. शुक्ल को बधाई देने वालों में प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली, मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी, टी. पी. काॅलेज के डाॅ. शिवशंकर कुमार, पार्वती साइंस काॅलेज के डाॅ. रवीन्द्र चरण यादव, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. रामनरेश सिंह, सीनेटर रंजन यादव आदि के नाम भी शामिल हैं।
आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता और चारों मठों के संस्थापक थे। उन्होंने भारतीय धर्म-दर्शन को देश-दुनिया में स्थापित करने में महती भूमिका निभाई थी। इनका जन्म केरल
में 788 ई. में वैशाख शुक्ल पंचमी के दिन हुआ था। इस दिन को यादगार बनाने के लिए इसे भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली विभिन्न संस्थानों को अनुदान देती है। वर्ष 2019 में देश के कुल 28 संस्थानों को बीस-बीस हजार का अनुदान दिया गया है। इनमें बिहार से एकमात्र स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा का चयन हुआ है। तदनुसार
शंकराचार्य जयंती के अवसर पर आगामी 9 मई को भारतीय दार्शनिक दिवस का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने दी। उन्होंने इसके लिए आईसीपीआर के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. एस. आर. भट्ट एवं सदस्य-सचिव प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल के प्रति आभार व्यक्त किया है।
दर्शनशास्त्र विभाग में पहली बार होगा यह आयोजन
डाॅ. शेखर ने बताया कि स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में में पहली बार भारतीय दार्शनिक दिवस का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत कई विद्वानों के व्याख्यान होंगे। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह वेदांत की वैश्विक दृष्टि विषय पर व्याख्यान देंगे। इसके अलावा भारतीय समाजवाद पर अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद) का व्याख्यान होगा। स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. शंभु प्रसाद सिंह गाँधी का नैतिक दर्शन विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
*नैक मूल्यांकन में मदद*
विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष सह मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने बताया कि उक्त कार्यक्रम के आयोजन से नैक मूल्यांकन में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि आईसीपीआर ने लगातार दूसरी बार विश्वविद्यालय को भारतीय दार्शनिक दिवस के आयोजन हेतु अनुदान दिया है। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।
*पहले भी मिला था अनदान*
मालूम हो कि वर्ष 2018 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय को भी भारतीय दार्शनिक दिवस के आयोजन हेतु बीस हजार रुपए अनुदान प्राप्त हुआ था। तदनुसार वहाँ 21 अप्रैल, 2018 को आधुनिक सभ्यता का संकट और वेदांती समाधान विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इसके मुख्य वक्ता भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता कुलपति डॉ. अवध किशोर राय एवं मुख्य अतिथि मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानन्जय द्विवेदी थे। अध्यक्षता तत्कालीन प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव ने किया था।
इसके अतिरिक्त आईसीपीआर ने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय को व्याख्यान-माला के लिए भी दस हजार रुपए अनुदान दिया था। उससे मार्च 2018 में चार व्याख्यान आयोजित किए गए थे। 20 मार्च, 2018 को दो व्याख्यान आयोजित हुआ था। पहला व्याख्यान बिहार दर्शन परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. प्रभु नारायण मंडल (भागलपुर) ने दिया। उनका विषय 'धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा' था। दूसरा व्याख्यान 'धार्मिक सहिष्णुता एवं सर्वधर्म समभाव' विषय पर पी. के. राय मेमोरियल काॅलेज, धनबाद में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेश कुमार अम्बष्ट का हुआ था।
अगले दिन 21 मार्च, 2018 को भी दो व्याख्यान आयोजित किए गए। 'वेदांती समाजवाद' विषय पर अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद) एवं 'सीमांत नैतिकता और सामाजिक न्याय' विषय पर पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा का व्याख्यान हुआ। दोनों दिन उद्घाटनकर्ता कुलपति प्रो. (डाॅ.) अवध किशोर राय और मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) फारूक अली थे।
*कौन हैं आदि शंकर*
आदि शंकराचार्य ने वेद-वेदांतो के ज्ञान को देश-दुनिया में फैलाया। उनका प्रमुख उपदेश है ब्रह्म एकमात्र सत्य है। जगत मित्थया है। ब्राह्म एवं जीव में कोई भेद नहीं है।
आदि शंकराचार्य ने बहुत कम उम्र मे, तथा बहुत कम समय मे अपने कार्य के माध्यम से, अपने जीवन के उद्देश्य को पूर्ण किया। आपके जीवन के बारे मे यहा तक कहा गया है कि आपने महज दो से तीन वर्ष की आयु मे सभी शास्त्रों, वेदों को कंठस्थ कर लिया था। इसी के साथ इतनी कम आयु मे, भारतदर्शन कर उसे समझा और सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकता के अटूट धागे मे पिरोने का अथक प्रयास किया और बहुत हद तक सफलता भी प्राप्त की जिसका जीवित उदहारण उन्होंने स्वयं सभी के सामने रखा और वह था कि आपने सर्वप्रथम चार अलग-अलग मठों की स्थापना। वेदान्त मठ इसे श्रंगेरी रामेश्वर दक्षिण भारत में स्थापित किया गया। गोवर्धन मठ जोकि, दूसरा मठ है, जिसे जगन्नाथपुरी अर्थात् पूर्वी भारत मे, स्थापित किया गया। शारदा या कलिका मठ भी कहा जाता है जोकि, तीसरा मठ है जिसे, द्वारकाधीश अर्थात् पश्चिम भारत मे, स्थापित किया गया। ज्योतिपीठ मठ – ज्योतिपीठ मठ जिसे बदरिकाश्रम भी कहा जाता है जोकि, चौथा और अंतिम मठ है, जिसे, बद्रीनाथ अर्थात् उत्तर भारत मे, स्थापित किया गया।
में 788 ई. में वैशाख शुक्ल पंचमी के दिन हुआ था। इस दिन को यादगार बनाने के लिए इसे भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली विभिन्न संस्थानों को अनुदान देती है। वर्ष 2019 में देश के कुल 28 संस्थानों को बीस-बीस हजार का अनुदान दिया गया है। इनमें बिहार से एकमात्र स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा का चयन हुआ है। तदनुसार
शंकराचार्य जयंती के अवसर पर आगामी 9 मई को भारतीय दार्शनिक दिवस का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने दी। उन्होंने इसके लिए आईसीपीआर के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. एस. आर. भट्ट एवं सदस्य-सचिव प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल के प्रति आभार व्यक्त किया है।
दर्शनशास्त्र विभाग में पहली बार होगा यह आयोजन
डाॅ. शेखर ने बताया कि स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में में पहली बार भारतीय दार्शनिक दिवस का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत कई विद्वानों के व्याख्यान होंगे। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह वेदांत की वैश्विक दृष्टि विषय पर व्याख्यान देंगे। इसके अलावा भारतीय समाजवाद पर अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद) का व्याख्यान होगा। स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. शंभु प्रसाद सिंह गाँधी का नैतिक दर्शन विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
*नैक मूल्यांकन में मदद*
विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष सह मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने बताया कि उक्त कार्यक्रम के आयोजन से नैक मूल्यांकन में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि आईसीपीआर ने लगातार दूसरी बार विश्वविद्यालय को भारतीय दार्शनिक दिवस के आयोजन हेतु अनुदान दिया है। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।
*पहले भी मिला था अनदान*
मालूम हो कि वर्ष 2018 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय को भी भारतीय दार्शनिक दिवस के आयोजन हेतु बीस हजार रुपए अनुदान प्राप्त हुआ था। तदनुसार वहाँ 21 अप्रैल, 2018 को आधुनिक सभ्यता का संकट और वेदांती समाधान विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इसके मुख्य वक्ता भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता कुलपति डॉ. अवध किशोर राय एवं मुख्य अतिथि मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानन्जय द्विवेदी थे। अध्यक्षता तत्कालीन प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव ने किया था।
इसके अतिरिक्त आईसीपीआर ने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय को व्याख्यान-माला के लिए भी दस हजार रुपए अनुदान दिया था। उससे मार्च 2018 में चार व्याख्यान आयोजित किए गए थे। 20 मार्च, 2018 को दो व्याख्यान आयोजित हुआ था। पहला व्याख्यान बिहार दर्शन परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. प्रभु नारायण मंडल (भागलपुर) ने दिया। उनका विषय 'धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा' था। दूसरा व्याख्यान 'धार्मिक सहिष्णुता एवं सर्वधर्म समभाव' विषय पर पी. के. राय मेमोरियल काॅलेज, धनबाद में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेश कुमार अम्बष्ट का हुआ था।
अगले दिन 21 मार्च, 2018 को भी दो व्याख्यान आयोजित किए गए। 'वेदांती समाजवाद' विषय पर अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद) एवं 'सीमांत नैतिकता और सामाजिक न्याय' विषय पर पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा का व्याख्यान हुआ। दोनों दिन उद्घाटनकर्ता कुलपति प्रो. (डाॅ.) अवध किशोर राय और मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) फारूक अली थे।
*कौन हैं आदि शंकर*
आदि शंकराचार्य ने वेद-वेदांतो के ज्ञान को देश-दुनिया में फैलाया। उनका प्रमुख उपदेश है ब्रह्म एकमात्र सत्य है। जगत मित्थया है। ब्राह्म एवं जीव में कोई भेद नहीं है।
आदि शंकराचार्य ने बहुत कम उम्र मे, तथा बहुत कम समय मे अपने कार्य के माध्यम से, अपने जीवन के उद्देश्य को पूर्ण किया। आपके जीवन के बारे मे यहा तक कहा गया है कि आपने महज दो से तीन वर्ष की आयु मे सभी शास्त्रों, वेदों को कंठस्थ कर लिया था। इसी के साथ इतनी कम आयु मे, भारतदर्शन कर उसे समझा और सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकता के अटूट धागे मे पिरोने का अथक प्रयास किया और बहुत हद तक सफलता भी प्राप्त की जिसका जीवित उदहारण उन्होंने स्वयं सभी के सामने रखा और वह था कि आपने सर्वप्रथम चार अलग-अलग मठों की स्थापना। वेदान्त मठ इसे श्रंगेरी रामेश्वर दक्षिण भारत में स्थापित किया गया। गोवर्धन मठ जोकि, दूसरा मठ है, जिसे जगन्नाथपुरी अर्थात् पूर्वी भारत मे, स्थापित किया गया। शारदा या कलिका मठ भी कहा जाता है जोकि, तीसरा मठ है जिसे, द्वारकाधीश अर्थात् पश्चिम भारत मे, स्थापित किया गया। ज्योतिपीठ मठ – ज्योतिपीठ मठ जिसे बदरिकाश्रम भी कहा जाता है जोकि, चौथा और अंतिम मठ है, जिसे, बद्रीनाथ अर्थात् उत्तर भारत मे, स्थापित किया गया।
कुलपति डॉ. अवध किशोर राय ने बुधवार को नार्थ कैंपस का निरीक्षण किया। उन्होंने विशेष रूप से रसायनशास्त्र, भौतिकी, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, भूगोल, मनोविज्ञान एवं गृह विज्ञान के लैब को सभी आवश्यक उपकरणों एवं सुविधाओं से लैस करने पर बल दिया। इन सभी विषयों के लिए लैब को
चिह्नित कर लिया गया है। लैब का मेप बनाया गया। कुलपति ने यह निदेशित किया है कि सभी निर्माण विधिसम्मत हो। मार्च तक लैब तैयार कर लिया जाए। अप्रैल से सभी प्रायोगिक कक्षाएं एवं परीक्षाएं सुचारु रूप से नए लैब में संचालित होंगी।
विज्ञान भवन एवं सामाजिक विज्ञान भवन के बीच बने नवनिर्मित भवन में चार विभाग चलेंगे। इसके भूतल पर भूगोल एवं गृह विज्ञान और प्रथम तल पर मनोविज्ञान एवं वाणिज्य विभाग चलेंगे। दोनों तल पर एक-एक हाॅल है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर वित्त परामर्शी सुरेश चंद्र दास, सीनेटर डाॅ. नरेश कुमार, भौतिकी विभागाध्यक्ष डाॅ. निखिल प्रसाद झा, जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. अरुण कुमार, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. गणेश प्रसाद, पूर्व डीएसडबल्यू डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, आईक्यूएसी के डायरेक्टर डाॅ. मोहित कुमार घोष, डाॅ. मो. अबुल फजल, पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।
चिह्नित कर लिया गया है। लैब का मेप बनाया गया। कुलपति ने यह निदेशित किया है कि सभी निर्माण विधिसम्मत हो। मार्च तक लैब तैयार कर लिया जाए। अप्रैल से सभी प्रायोगिक कक्षाएं एवं परीक्षाएं सुचारु रूप से नए लैब में संचालित होंगी।
विज्ञान भवन एवं सामाजिक विज्ञान भवन के बीच बने नवनिर्मित भवन में चार विभाग चलेंगे। इसके भूतल पर भूगोल एवं गृह विज्ञान और प्रथम तल पर मनोविज्ञान एवं वाणिज्य विभाग चलेंगे। दोनों तल पर एक-एक हाॅल है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर वित्त परामर्शी सुरेश चंद्र दास, सीनेटर डाॅ. नरेश कुमार, भौतिकी विभागाध्यक्ष डाॅ. निखिल प्रसाद झा, जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. अरुण कुमार, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. गणेश प्रसाद, पूर्व डीएसडबल्यू डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, आईक्यूएसी के डायरेक्टर डाॅ. मोहित कुमार घोष, डाॅ. मो. अबुल फजल, पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।
प्रथम सत्र में स्मारिका का लोकार्पण किया गया। स्मारिका में हिंदी एवं अंग्रेजी में लगभग दो दर्जन आलेखों का प्रकाशन किया गया है। साथ ही महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन, उर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव एवं राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह का शुभकामना संदेश भी प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से संबंधित कई रंगीन चित्रों को भी प्रकाशित किया गया है।
अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. आर. के. पी. रमण, हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. विनय कुमार चौधरी एवं मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डाॅ. एम. आई. रहमान को संपादक मंडल में स्थान दिया गया है। विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप एवं पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर ने संपादक की जिम्मेदारी निभाई है।
संपादकीय
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माननीय कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय के कुशल नेतृत्व में भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है। कुलपति महोदय ने अपने महज 20 माह के कार्यकाल में यहाँ बदलाव एवं विकास के नए प्रतिमान गढ़े हैं- रजत जयंती समारोह' भी उनमें एक है।
माननीय कुलपति ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही 'रजत जयंती समारोह' के आयोजन की घोषणा की। फिर अभिषद् की बैठक में माननीय प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली की अध्यक्षता में 'रजत जयंती समारोह आयोजन समिति' का गठन किया गया और समारोह की तैयारी शुरू हुई। समिति ने फरवरी 2019- फरवरी 2020 तक पूरे एक वर्ष तक विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया। इसकी पहली कड़ी में 26 फरवरी, 2019 को 'उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनौतियाँ' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि इसमें विषय के विभिन्न पहलुओं पर सार्थक चर्चा होगी और समाजोपयोगी निष्कर्ष निकाले जाएँगे।
सेमिनार के अवसर पर एक 'स्मारिका' का
इस सेमिनार के अवसर पर प्रकाशित हो रही 'स्मारिका' को आप सबों के हाथों सौंपते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। हम महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति श्री लालजी टंडन साहेब के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं, जिन्होंने अपना शुभकामना संदेश भेजकर हमें उपकृत किया है। साथ ही बिहार सरकार के माननीय उर्जा मंत्री श्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने भी शुभकामना संदेश भेजकर हमारा मार्गदर्शन किया है। इसके लिए हम इनके हृदय से आभारी हैं। हम महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव श्री विवेक कुमार सिंह के प्रति भी अपना आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमें अपना शुभकामना संदेश भेजकर हमारा उत्साहवर्धन किया है।
माननीय कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय एवं माननीय प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने शुभकामना संदेश के साथ-साथ अपना आलेख भी दिया है, इसके लिए इनके प्रति आभार व्यक्त करना महज औपचारिकता ही है; क्योंकि आप दोनों ही इस संपूर्ण आयोजन के केन्द्र में हैं। हम उन सभी महानुभावों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अत्यंत कम समय में ही हमें अपना आलेख एवं शोध-सारांश उपलब्ध कराया। जिन महाविद्यालय के प्रधानाचार्यों ने हमें अपना संदेश एवं विज्ञापन उपलब्ध कराया है, वे विशेष धन्यवाद के पात्र हैं।
पुनश्च, रजत जयंती समारोह का यह प्रथम पुष्प 'स्मारिका' के रूप में आपके हाथों में सौंपते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप इसे सहर्ष स्वीकार करेंगे और इसे आगे और बेहतर बनाने के लिए हमें अपना बहुमूल्य सुझाव प्रेषित कर हमें अनुगृहित करेंगे। हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन। जय हिंद! जय बिहार!! जय बीएनएमयू!!!
- डाॅ. सुधांशु शेखर
जनसंपर्क पदाधिकारी
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